About Naagpanchami festival in hindi | नाग पंचमी त्योहार क्यो मनाते हैं

Here we read about Naag panchmi festival .Why we celebrate and what’s reason behind this.

Naag panchmi


1.परिचय: श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का त्यौहार मनाई जाती है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और इनका दूध से अभिषेक किया जाता है। अगर इस दिन शिव शंकर के गले के आभूषण यानी नागों की पूरी श्रद्धा से पूजा की जाए तो शिव जी प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। नाग पंचमी की पूजा  पूरे देश में की जाती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व का महत्व क्या है और इसके पीछे क्या इतिहास जुड़ा हुआ है। अगर नहीं तो हम अपने इस आर्टिकल में आपको इसके बारे में 10  जानकारी देंगे। 

2. मनाने का कारण: मान्यता के अनुसार, जब समुंद्र मंथन हुआ था तब किसी को भी रस्सी नहीं मिल रही थी। इस समये वासुकि नाग को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी वहीं, दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला था जिसे शिव भगवान में अपने कंठ में धारण किया था और समस्त लोकों की रक्षा की थी। वहीं, मंथन से जब अमृत निकला तो देवताओं ने इसे पीकर अमरत्व को प्राप्त किया। इसके बाद से ही इस तिथि को नाग पंचमी के पर्व के तौर पर मनाया जाता है।

नाग पंचमी त्योहार क्यों मनाते है

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जानक नाग को हराकर बचाई थी। श्री कृष्ण भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया था। जिसके बाद वो नथैया कहलाए थे। तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

 3. मनाने का तरीका: नागपंचमी इस दिन लोग सुबह उठकर घर की सफाई करते है फिर  स्नान करके नाग देवता की पूजा करते हैं। अच्छे- अच्छे पकवान बनाते खाते है और झूला झूलते है। देश के अलग- अलग जगहों पर इस त्योहार को मनाने का तरीका अलग है कुछ ऐसा की उत्तर प्रदेश के कुछ जगहों पर है जहाँ के लोग पुराने कपड़ो से गुड़िया बनाकर बीच चौराहे पर रखकर पुरूष या बच्चे पिटते हैं। गुड़िया पिटकर और झूला झूलकर उत्साह के साथ यह त्योहार मनाते है।

naap panchmi

4.रीति-रिवाज: इस दिन सेंवई और चावल बनाने का रिवाज है। कई जगहों पर नागपंचमी के दिन बासी भोजन लेने का रिवाज है. इसके लिए नागपंचमी से पहली रात को ही खाना बना कर रख लिया जाता है, जिसे नागपंचमी के दिन खाया जाता है। नाग पंचमी के दिन दीवार को गेरू से पोता जाता है. दीवार के जिस हिस्से पर गेरू लगाया जाता है उस पर कोयला घिस कर नाग देवता की आकृति बनाने की मान्यता है।

5. मान्यता: माना जाता है कि सोने, चांदी या लकड़ी की कलम से दरवाजे पर हल्दी या चन्दन से पांच फनों वाले नागदेवता का चित्र बनाया जाना शुभ है। दीवार पर बने नागदेवताओं की दही, दूर्वा, चावल, दूर्वा, सेमई, फूल और चंदन से पूजा जाता है। इस दिन कई जगहों पर लोग नागों की बॉबी पर दूध चढ़ाते हैं।

6. दोष- निवारण:  जब कुंडली में सारे ग्रह राहु-केतु के बीच में आ जाते हैं तो जातक के कालसर्प दोष लगता है। जिस इंसान की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उसे पारिवारिक जीवन से लेकर व्यापार, नौकरी क्षेत्र में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए सर्वोत्तम माना गया है।


7. काम मे रूकावट: पुराणों के अनुसार नागों को पाताल लोक का स्वामी माना गया है। सांपो को क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। सांप चूहों आदि से किसान के खेतों की रक्षा करते हैं। साथ ही नाग भूमि में बांबी बना कर रहते हैं इसलिए नागपंचमी के दिन भूलकर भी भूमि की खुदाई नहीं करनी चाहिए।

8. पूजा की विधि:  इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई और चावल बना लें। अब लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उस पर नागदेवता की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं। नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं और आरती करें। फ‍िर लड्डू और खीर अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है। इस दिन सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है। जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा में पांच तरह की चीजों का उपयोग किया जाता हैं। धान,धान का लावा(जिन्हें खील भी कहा जाता है) दूर्वा, गाय का गोबर और दूध यो पांच चीजें हैं जिनसे नागदेवता की पूजा करते हैं।


9. पूजा मंत्र:  “ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”

– सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।

– ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

10. नागपंचमी का महत्व: हिंदु धर्म में नागों का विशेष महत्व है। इनकी पूजा पूरी श्रद्धा से की जाती है। बता दें कि नाग शिव शंकर के गले का आभूषण  हैं और भगवान विष्णु की शैय्या भी। सावन के महीने में हमेशा झमाझमा बारिश होती है और नाग जमीन से बाहर आ जाते हैं। ऐसे में मान्यता के अनुसार, नाग देवता का दूध से अभिषेक किया जाता है और उनका पूजन किया जाता है। इससे वो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि अगर कुंडली दोष हो तो उसे दूर करने के लिए भी नाग पंचमी का महत्व अत्यधिक होता है।  

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